आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर करोड़ो श्रद्धालुओं ने शिवालयों में भगवान शिव का जलाभिषेक किया, देश भर में हर हर महादेव की गूंज सुनाई दी। महाकुंभ सहित सनातनी हिंदुओं ने तमाम घाटों पर स्नान किया। “महाशिवरात्रि पर जहां पूरे देश में श्रद्धालु महाशिवरात्रि पर भक्ति में लीन थे। उस वक्त झारखंड में उपद्रवियों ने त्योहार का फायदा उठाकर जमकर पत्थरबाजी की और वाहनों में आग लगाई”।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन को भगवान शिव और पार्वती के विवाह का दिन माना गया है, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर – महाशिवरात्रि एक वर्ष में एक बार ही मनाई जाती है, और शिवरात्रि 12 महीनों में हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है।

पुराणों में भगवान शिव के आठ पुत्र बताये गये है पहले पुत्र भगवान कार्तिकेय जिनको मुरुगन, सुब्रह्मण्यम और स्कंद नाम से जानते हैं। शंकर जी की दूसरे पुत्र भगवान श्री गणेश जी, तीसरे पुत्र सुकेश यह शिव पार्वती के दत्तक पुत्र मतलब गोद लिये गए थे। महादेव के चौथे पुत्र का नाम जालंधर था जिनका जन्म उनकी तीसर आंख के तेज से हुआ था। उनके पांचवें पुत्र मंगल (भौम) को माना जाता है। भगवान शिव के पसीने की बूंद भूमि पर गिरने से भौम की उत्पत्ति हुई थी। शिवजी के छठे पुत्र अयप्पा है केरल में सबरीमाला की पहाड़ियों पर अयप्पा स्वामी का स्थान है। जिन्हें हरिहर पुत्र के रूप में भी जाना जाता है दक्षिण भारत में मकर संक्रांति समय पर अयप्पा के प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन के लिए भारी भीड़ पहुंचती है। शिव शंकर के सातवें पुत्र का नाम अंधकासुर था। और आठवें पुत्र को ताड़ित और खुजा के नाम से जानते हैं। और भगवान शिव की छ पुत्रियां भी थी।

शिव को बेलपत्र (बिल्व पत्र, बेल, बेलपत्थर) अर्पित करना बहुत ही फलकारी माना जाता है – बताया जाता है जब समुद्र मंथन हुआ था तब ‘अमृत कलश के साथ-साथ विष कलश भी निकाल था, तब इस विष को देवों के देव महादेव ने पिया था विष को पीने के बाद शिव जी का कंठ यानी गला नीला पड़ गया। तब पार्वती जी ने शिवजी को बेल पत्र खाने के लिए दिया’ जिससे उनको राहत मिली।

बिल्व पत्र को बहुत ही पवित्र माना गया है ये कई दिनों तक बासी नहीं होता है दुसरे के द्वारा चढ़ायें गये बिल्वपत्र को हम पुनः धुलकर शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं। बेलपत्र को हम प्रत्येक दिन पेड़ से नहीं तोड़ सकते हैं।
त्रियुगीनारायण मंदिर जहां पर शिव, पार्वती का विवाह हुआ था – वेदों के अनुसार “उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में त्रियुगीनारायण मंदिर त्रेतायुग युग से मौजूद हैं, बताया जाता है कि इस मंदिर में कई युगों से अग्नि प्रज्वलित है। इसलिए इस मंदिर का नाम ‘त्रियुगी’ मतलब यह मंदिर तीन युगों से जुड़ा है। इसी स्थान पर भगवान शिव और पार्वती ने पवित्र अग्नि के साक्षी मानकर विवाह किया था। वेदों में भी इस पौराणिक मंदिर के बारे में जिक्र है कि यह मंदिर त्रेतायुग युग से स्थापित है।”

महाशिवरात्रि पर महाकुंभ का 2025 में अंतिम अमृत स्नान – प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन 45 वें दिन महाशिवरात्रि पर समाप्त हुआ। अकेले महाशिवरात्रि के दिन करीब सवा करोड़ श्रद्धालुओं अमृत स्नान किया।

महाशिवरात्रि और महाकुंभ के महासंगम में भारतीय वायुसेना की दिव्य आहुति : महाशिवरात्रि और महाकुंभ 2025 के अंतिम दिन भारतीय वायुसेना ने संगम के आकाश में त्रिशूल उकेरकर, भव्य सनातन संस्कृति को दिव्यता प्रदान की। हमारे जांबाज आकाश में धर्म की शक्ति का प्रतीक बने। महाकुंभ के समापन पर भारतीय वायुसेना ने प्रयागराज संगम के आकाश में हवाई शो के माध्यम से सनातन की अडिग आस्था को नमस्कार किया।

आगरा ‘तेजोमहालय’ – आगरा ताजमहल में महाशिवरात्रि के अवसर पर मीरा राठौर ने महाकुंभ से गंगाजल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक किया। धूपबत्ती लगाकर पूजा अर्चना भी की। मीरा राठौर ने कहा ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है, जिसे तेजो महालय कहा जाता था।
कर्नाटक में महाशिवरात्रि पर राघव चैतन्य शिवलिंग की पूजा अर्चना की अनुमति!
कर्नाटक हाईकोर्ट ने महाशिवरात्रि के महापर्व पर राघव चैतन्य शिवलिंग के पूजा अर्चना की अनुमति दी। हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट से 500 लोगों द्वारा पूजा करने की अनुमति मांगी थी, जिसके बाद 15 लोगों को पूजा की अनुमति दी गई। दरअसल यह ‘राघव चैतन्य शिवलिंग’ कर्नाटक के कलबुर्गी में विराजमान हैं, और उसी स्थान पर दावा किया है कि वही सूफी संत लाडले मशक की दरगाह है। कई साल पहले मु’स्लिम कट्ट’रपंथियों शिवलिंग को खंडित किया और पत्थरबाजी की जिससे सांप्रदायिक तनाव पैदा उत्पन्न हुआ।

झारखंड में महाशिवरात्रि पर फिर से जिहादियों का अटैक – झारखंड में हजारीबाग में महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी को झंडे और लाउडस्पीकर लगाने को लेकर मुसलमानों ने विवाद खड़ा कर दिया। और जमकर पत्थरबाजी हुई, वाहनों में आग लगा दी गई। इस घटना में पुलिस वालों सहित कई लोग घायल हुए।इस घटना पर केंद्रित मंत्री और रांची से भाजपा सांसद संजय सेठ ने कहा है ” यह निंदनीय और दर्दनाक है सरकार ऐसे लोगों से सख्ती से पेश आए। सरस्वती पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन करने जा रहे श्रद्धालुओं पर हमला होता है। होली, रामनवमी और शिव बारात के दौरान हिंसा होती है। आज महाशिवरात्रि है। वे कौन लोग हैं जो शांति प्रभावित करना चाहते हैं। देश भर में इतनी हिंसा कहीं नहीं होती जितनी झारखंड में होती है आखिर क्यों? क्योंकि बांग्लादेशी घुसपैठिए जनसांख्यिकी और कानून व्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं।
